चंद्रशेखर आज़ाद नगर :- चंद्र शेखर आज़ाद नगर में स्वास्थ्य विभाग की सी बी एम ओ मंजुला चौहान अपनी ढपली अपना राग की कहावत चरितार्थ कर रही है आलम यह है कि स्थानीय चिकित्सालय में सब नियम कायदे मंजुला चौहान के अनुसार ही तय हो रहे है कोरोना वायरस की महामारी में भी मंजुला चौहान अपनी लापरवाही से बाज नही आ रही है ताजा मामला है स्थानीय चिकित्सालय में कार्यरत पांच कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजो का । स्थानीय चिकित्सालय में कार्यरत 5 कर्मचारियों को में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखाई देने पर जिला चिकित्सालय द्वारा इन संदिग्ध मरीजो के सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया । नियमानुसार कोरोना सेम्पल लेने के बाद सभी संदिग्ध मरीजो को 28 दिनों के लिए क्योरण्टाइन करना था ओर इस संबंध में आवश्यक सूचना इन संदिग्ध मरीजो के घर के बाहर चस्पा की जानी थी परन्तु सीबीएमओ मंजुला चौहान ने अपनी तानाशाही रवैये के अनुसार सभी कर्मियों को ड्यूटी पर आने का कहा था।
सी बीएमओ मंजुला चौहान के निर्देश अनुसार ये सभी संदिग्ध मरीज शुक्रवार को जब चंद्रशेखर आज़ाद नगर सरकारी अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर उपस्थित हो गए और कुछ इनमे से कुछ कर्मचारियों ने ग्रामीणों इलाको में चल रही वेक्सिनेशन की प्रक्रिया में भी भाग लिया प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो स्वथ्यकर्मी विमल स्थानीय चिकित्सालय में बिना मास्क पहने कम्प्यूटर पर ड्यूटी करता देखा गया वही एक अन्य नर्स भी ड्यूटी करने पहुची । मामले की जानकारी के बाद पत्रिका ने सीबीएमओ मंजुला से मोबाईल पर चर्चा पूछा कि 30 अप्रेल को स्वथ्यकर्मी के सेम्पल लेने के बाद उन्हें क्योरण्टाइन किया गया या नही ? इसके जवाब में मंजुला चौहान ने बिना जांच रिपोर्ट के इन स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण मुक्त घोषित कर दिया और कहा कि ये कर्मचारी संक्रमण मुक्त है इसलिये ड्यूटी पर आ गए होंगे साथ ही उन्होंने कहा कि सभी को क्योरोनाटाइन कर दिया जाएगा और और उनके घरों पर पोस्टर भी चिपका दिया जाएगा ।
इन संदिग्ध कर्मचारियों के क्योरेंटाइन पीरियड में ड्यूटी पर होने की पुष्टि स्थानीय अस्पताल में लगे सी सी टी वी कैमरों से भी की जा सकती है नाम न छापने की शर्त पर चिकित्सालय के ही एक संदिग्ध ने पत्रिका को बताया कि पत्रिका द्वारा इस संबंध में सी बी एम ओ से बातचीत के बाद मंजुला चौहान ने चिकित्सालय के सभी संदिग्घ मरीजो को अपने घर जाने का बोल दिया इस पूरे मामले में सवाल उठता है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग के ये अधिकारी इतने लापरवाह कैसे हो सकते है और क्या इनके वरिष्ठ अधिकारी इनके क्रिया कलापों की समीक्षा नही करते और आखिर क्यो ये अधिकारी एक जैसे दो मामलों में ये अधिकारी अलग अलग प्रक्रिया अपनाने है और इस बहाने अपनी निजि द्वेषता निकालने की कोशिश करते है पहले मीडिकर्मी की परिवार सहित कोरोना सेम्पल लिए गए थे जिनके घर जिले के कोरोना टीम तीन वाहन में 7 से 8 लोग क्योरोनाटाइन का पोस्टर लगाने पहुचे थे और 28 दिन का क्योरोनाटाइन किया गया था। क्या ये नियम इन स्वथ्यकर्मी पर लागू नही होते इस पूरे मामले को लेकर पत्रकार संघ ने कलेक्टर से उचित जांच कर कार्यवाही की मांग की है ।
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