होली का महत्व - तार्किक एवं वैज्ञानिक आधार- होम्योपैथी मनोरोग चिकित्सक डॉ अनुपम श्रीवास्तव द्वारा

होली का महत्व - तार्किक एवं वैज्ञानिक आधार- होम्योपैथी मनोरोग चिकित्सक डॉ अनुपम श्रीवास्तव द्वारा



 


साथियों होली का त्योहार पतझड़ से हमें गर्मी की ओर ले जाता है इसके पहले हमें शरद एवं शिशिर ऋतु का सामना करना होता है जिसके कारण एकाकी होना,मन न लगना, अनावश्यक गुस्सा, ऊर्जा के अभाव, दोस्तों की कमी, डिप्रेशन की स्थिति में आते हैं। जिस कारण ये त्यौहार आपको रिचार्ज कर ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) के लिए तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 


गांवों में परम्परा है जिसके घर कोई शोक हुआ है वो होली के बाद ही शुभ कार्य कर सकते हैं। शोक दुख और पीड़ा को हम सफेद या काले रंग से दर्शाते हैं जब जीवन में रंग नहीं होता। होली के दिन रंगों को जीवन में भरा जाता है। गांव के सभी जन घर के सदस्यों को रंग लगा के उन्हें अब शुभ काम कर सकने की मौन अनुमति देते हुए पुनः उनके जीवन मे रंग लाते हैं। उन्हें साथ लेकर अब गांव भ्रमण कर घुमा जाता है और सम्बल दिया जाता है कि हम साथ हैं और दुःख की घड़ी अब खत्म हो गई है अब नए दिन की शुरुआत उमंग और ऊर्जा से करनी है। 


होलिका दहन के दिन घर की माताएँ अपने घर की सुखशांति की कामना ये कहते हुए करती हैं कि होली में सभी बुराई और अलबला जल गई और अब हम सुरक्षित हैं। ये जो मनोभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा अब होली के जलने पर संचरित होती है वो मन से सभी नेगेटिव एनर्जी नकारात्मक ऊर्जा को जला के पोसिटिव सकारात्मक ऊर्जा में बदल देती है।


रंगों का त्योहार, हंसी ठिठोली, मस्ती एवं आज का खानपान आपको मस्ती के लिए प्रेरित करता है वो भी अकेले नहीं परिवार और दोस्तों के साथ ही अन्य जाने अनजाने लोगों के साथ भी मस्ती के संग सबके साथ जो आनन्द हमें मिलता है वो आपको हमेशा खुश रखेगा। डिप्रेस नहीं होने देगा। 


ये सभी इफ़ेक्ट जो आते हैं वो शरीर मे हॉर्मोन के स्त्रावित होने पर आते हैं। अलग अलग गतिविधियों में अलग हॉर्मोन निकलता है जिसका अलग काम होता है। 
1. ऑक्सीटोसिन - जो साथ और सम्बल से मिलता है। 
2.एंडोर्फिन-  जो उत्साह और आनन्द में निकलता है दृढ़ता देता है शरीर में ऊर्जा बढ़ाता है।
3.डोपामिन-  जो कि मोटिवेशनल होता है एक दूसरे को साथ ले आगे बढ़ने । दुख को भूल सुख के लिए पुनः जुट जाने की शक्ति देता है। ये भी दोस्तों के साथ आनन्द से स्त्रावित होता है। भांग से भी इसका सम्बद्ध है। 
4.सेरेटोनिन - जो सुरक्षा और सम्मान का हॉर्मोन है दोस्तों का आपके साथ जुड़ाव जब आप महसूस करते हैं आनन्द में होते हैं तो खुश होते हैं। 


याद रखिये ये हॉर्मोन किसी दवा, रुपयों, और हल्के फुल्के जोक्स पास कर देने से नहीं मिलते इनके लिए आनन्द का स्तर बढ़ना चाहिए जो कि होली के इस त्यौहार या अन्य get together से ही हो सकता है। जहाँ मस्ती हो रंग हो साथ हो। तो कमरों से बाहर निकल के खुद को अवसाद की स्थिति से बचा के अपने जीवन में रंग, उमंग उत्साह और आनन्द की अनुभूति जरूर लें। 


धुलेंडी पर्व की शुभकामनाएं💐💐


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