भारत ने विश्व को दी है प्लास्टिक सर्जरी की सौगात, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सभागार में हुआ विशेष कार्यक्रम

  इंदौर। ग्रीस में प्लास्टिक सर्जरी की दोबारा खोज हुई, जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था। उसी दौरान दुनिया को पता लगा कि भारत में करीब साढ़े तीन हजार साल पहले आचार्य सुश्रुत ने बनारस स्थित अपने आश्रम में प्लास्टिक सर्जरी की शुरूआत की थी। यह मानना कि प्लास्टिक सर्जरी विदेशों से आई है यह गलत है, प्लास्टिक सर्जरी विश्व को भारत द्वारा दी गई सौगात है। 

यह बात सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सभागार में वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे के अवसर पर ख्यात प्लास्टिक सर्जन डॉ निशांत खरे ने कही। इस मौके पर शहर के सभी प्लास्टिक सर्जन, आईएमए (इंडियन मेडिकल असोसिएशन) के पदाधिकारी और सदस्यों के साथ संगिनी एनजीओ से जुड़ी ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही है या उसे हारने वाली महिलाएं उपस्थित थीं। आयोजन में प्लास्टिक सर्जन डॉ प्रकाश छजलानी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया, जिसे उन्होंने सपरिवार लिया। कार्यक्रम में आईएमए के अध्यक्ष डॉ अनिल भाटिया भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में आम लोगों के सवालों के जवाब सीनियर डॉ. संजय कुचेरिया भी दिए गए। उन्होंने बताया की प्लास्टिक सर्जरी लोगो के लिए जीवन दान स्वरूप है और ऐसी कुछ सर्जरी के लिए इन्शुरन्स की सुविधा भी उपलब्ध है।



इस मौके पर ख्यात प्लास्टिक सर्जन डॉ निशांत खरे ने बताया कि पहले प्लास्टिक सर्जरी डे सिर्फ भारत में ही मनाया जाता था और भारत के ही एक डॉक्टर द्वारा विश्व स्तर पर इस दिन को मनाने की अनुशंसा की थी। डॉ खरे आगे कहते हैं कि विश्व युद्ध के बाद जब सैनिकों के अंग कट जाते थे तो इसे दूसरी रिवाइवल सर्जरी के रूप में प्रयोग किया जाना लगा। कुछ लोग मानते हैं कि यह सिर्फ सुंदरता से संबंध रखती है, यह धारणा भी गलत है। प्लास्टिक सर्जरी के तहत होने वाली ज्यादातर सर्जरियां जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए होती है। इस आयोजन को सफल बनाने में प्लास्टिक सर्जन डॉ. जुबीन सोनाने और डॉ सौरभ गुप्ता का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में डॉ.सचिन शिंदे, डॉ. सहज धाकड़,डॉ.जुरुर कापड़िया,डॉ.मोहेना शिंदे,डॉ.गौरव गर्ग,डॉ. काबंग मोदी, डॉ.सचिन वर्मा(एचओडी-बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी एमवायएच),डॉ. राकेश डावर(एचओडी-बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी- सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल,इंदौर ), डॉ. भावेश बंग (कैसर रोग सर्जन -एमवायएच,इंदौर)आदि मौजूद थे।

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