लाखों के तालाब पर कच्ची मुरम की पिचिंग, शिकायत के बाद भी सुधार नहीं, निकाल लिया पूरा भुगतान~ जिम्मेदार नही दे रहे ध्यान शासन के खजाने किया दूर उपयोग

आशीष यादव, धार 

लाखो  के तालाब पर कच्ची मुरम की पिचिंग, शिकायत के बाद भी सुधार नहीं निकल लिया पूरा भुगतान मामला सरदारपुर विकासखंड के ग्राम सिंदुरिया के बारामासी नाले  नाम से बनाए तालाब का दो साल पहले आरटीआई कार्यकर्ता सुनील सावंत ने की थी लिखित शिकायत, अधिकारियों ने किया था भुगतान रोकने और गुणवत्तापूर्ण पिचिंग का वादा  सूचना के अधिकार में मई में दी भुगतान ना होने की जानकारी, उसके पहले जनवरी से मार्च के बीच ही कर दिया था लाखों का भुगतान जिले के ग्रामीण अंचलों में पेयजल एवं सिंचाई सहित अन्य उपयोग के लिए करोड़ों खर्च कर तालाब बनाए गए है। निर्माण कार्य के दौरान मॉनिटरिंग ना करने के कारण ठेकेदारों ने मनमाने ढंग से काम पूर्ण कर दिया है। गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों के कारण जहां सरकारी पैसा पानी में बहने की स्थिति बन रही है। वहीं जल संरक्षण का नारा भी प्रभावित हो रहा है। ताजा मामला सरदारपुर विकासखंड में दो साल पहले बनाए गए लाखों के खर्च से बारामासी नाले सिंदुरिया तालाब निर्माण का है। इस तालाब निर्माण में पिचिंग में कच्ची मुरम का उपयोग किया गया था। इस मामले में दो साल पूर्व आरटीआई कार्यकर्ता सुनील सावंत द्वारा शिकायत की गई थी। इसके बाद  भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अलबत्ता पिचिंग मुरम पत्थर अब हाथ से टूटने लगे है। सोमवार को झूम मिटिंग के माध्यम से प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए श्री सावंत ने वर्तमान में तालाब की पाल की स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पाल के पत्थरों के टूटने से पाल को क्षति होने का खतरा है। 

सुधार करना था, भुगतान कर दिया 

आनलाईन पत्र परिषद् में सावंत ने बताया कि तालाब निर्माण में गुणवत्ताहीन पिचिंग की जानकारी दो साल पूर्व ही अधिकारियों को दी गई थी। इसकी शिकायत तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ संतोष वर्मा को भी की गई थी। उस दौरान श्री वर्मा ने  बकाया लाखों का भुगतान सुधार कार्य ना होने तक रोकने का वादा किया था।  तालाब की पिचिंग में कोई सुधार नहीं किया गया। आरईएस ई ई ओर सरदारपुर के अधिकारियों की मिलीभगत से  शिकायत के बाद भी भुगतान किया गया। जिस तरह से वर्तमान में तालाब की पिचिंग की मुरम हाथों से टूट रही है। इससे तालाब को बारिश के दौरान खतरा होने की स्थिति बन गई है। 

जानकारी भी गलत दी 

पत्र परिषद् में सावंत ने बताया कि राज्य शासन जिस महत्वपूर्ण उद्देश्य के साथ ग्रामीण क्षेत्रों तक आवश्यकताओं के लिए जल पहुंचाने की कोशिशों में जुटा है उसे अधिकारियों की लापरवाही से नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार में शेष बकाया भुगतान के संबंध में जानकारियां मांगी गई थी। अधिकारियों ने मई माह में जानकारी में बताया कि भुगतान अभी शेष है। इसके पूर्व ही  भुगतान जारी कर दिया गया था। 




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