जनप्रतिनिधियों के प्रयास धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पाए, गणेश घाट में दुर्घटनाओं का दौर जारी

आशीष यादव, धार

गणेश घाट दुर्घटनाओं का पर्याय बन चुका है यहां लगातार दुर्घटनाओं का क्रम जारी है प्रति सप्ताह यहां दुर्घटनाएं होती है जिसमें कई लोग घायल हो रहे हैं तो कई लोगों की जान जा रही वैकल्पिक सुधार कर के नाम पर जवाबदारो ने यहां पिछले कई वर्षों से लोहे की टंकियां लगा रखी है लेकिन स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा स्थिति यह है कि हर तीसरे दिन वहां पर हादसे हो रहे है 

सैकड़ों जान चली गई गणेश घाट पर लेकिन सुधार कार्य नहीं हुए

बताया जाता है कि गणेश घाट पर सुधार के कोई ठोस कार्य अभी तक नहीं हुए सुधार के नाम पर लीपापोती की गई वहां पर मृतकों की संख्या सैकड़ों में चली गई तथा घायलों की अनगिनत वहां पर बताया जाता है कि शुरुआती दौर से ही लगातार दुर्घटना हो रही है।


जनप्रतिनिधियों की पहल भी काम नहीं आई

गौरतलब है कि विधायक मेड़ा पूर्व में भी गणेशघाट पर दो दिवसीय आंदोलन कर चुके हैं बताया गया कि उस समय भी उन्होंने प्रशासन को हरकत में डाल दिया था अब वह खुद विधायक है सांसद छतरसिंह दरबार ने भी केंद्रीय परिवहन विभाग को अवगत कराया ओर तमाम जनप्रतिनिधियों ने पत्राचार से दुर्घटनाओं को रोकने की बात भी कही लेकिन किसी की पहल मूर्त रूप नहीं ले पाई स्थिति यह है कि आज भी दुर्घटनाएं लगातार हो रही है।


ऊपर पुलिस चौकी बनाई थी

पूर्व वाहनों की रफ्तार रोकने के लिए गणेशघाट के ठीक ऊपर एक चौकी बनाई गई लेकिन वहां पर नतीजा सिफर ही रहा चौकी बनाने के शुरुआती दौर में बताया गया था की कानवाई के माध्यम से वाहनों को क्रम बद्ध उतारा जाएगा लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था सुचारू रूप से लागू नहीं की गई यह सब विफल रहा यही नहीं जब से चौकी बनी है सिर्फ औपचारिकता ही सामने दिखाई देती है तीन पुलिसकर्मियों के भरोसे सैकड़ों वाहनों को रोकना था अब वहां वैकल्पिक व्यवस्थाओं के नाम पर लोहे की कोठियां जमा दी गई जिससे वाहनों की गति रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन वह भी कारागार साबित नहीं हो पा रहे हैं।


एनएच्आई अधिकारियों ने डीपीआर का नक्शा दिखाया था लेकिन धरातल पर मूल कार्य नहीं

पूर्व में जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद करीब 3 वर्ष पूर्व एनएचआई के अधिकारियों ने बताया था कि जमीनी स्तर के कार्य शुरू हो जाएंगे जिसमें प्रमुख रूप से हो चुकी दुर्घटनाओं के फ्लैक्स बनाकर घाट के ऊपर लगाए जाएंगे ताकि वाहन चालक उन बोर्ड को देखकर अपने गति पर लगाम दे साथ साथ घाट के दूसरी ओर चौड़ीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया जाएंगा बीच के डिवाइडर को दो फीट उठाया जाएगा यह सब हुआ लेकिन दुर्घटनाएं नहीं रुक पाई


नए डीपीआर में यह होगा

कुछ वर्ष पूर्व दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रस्तावित नए डीपीआर में नीचे अधिकारियों के बताए अनुसार नए सिरे से घाट का निर्माण किया जाएगा जिसमें वाहन सीधे ने उतर कर गोल घेरे में उतर कर नीचे पहुचेंगे जिसकी लागत करीब 200 करोड रुपए है बताया गया कि डीपीआर दिल्ली तक भेज दिया गया है शीघ्र डीपीआर प्रस्तावित 

होने के बाद 6 माह के भीतर नए घाट का निर्माण शुरू हो जाएगा नए डीपीआर में उपरोक्त मार्ग को सिक्स लाइन में तब्दील कर दिया जाएगा तमाम आश्वासन कागजों पर है लेकिन कार्य शुरू नहीं हो पाया स्थिति यह है कि आज भी गणेश घाट पर दुर्घटनाओं का क्रम जारी है इधर जनप्रतिनिधि भी अब इस विषय में चुप है स्थाई समाधान के तहत निमित्त मात्र लोहे के ड्रम लगाकर दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं जो पूर्णत विफल हो रहे हैं

इनका कहना है

मैंने नए डीपीआर को स्वीकृति प्रदान करवाई निर्माण कार्य भी शीघ्र शुरू हो इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं केंद्रीय मंत्री से भी उपरोक्त विषय में चर्चा की है ~~छतरसिंह दरबार, सांसद धार महू लोकसभा क्षेत्र


अधिकारी मनमानी कर जनता की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं मैंने हर संभव प्रयास किए आगे भी करता रहूंगा~~ पाचीलाल मेड़ा, विधायक धरमपुरी 



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