ऑपरेशन कर्क: आरोपी किशोर वाधवानी का मिला 5 दिन का रिमांड

इंदौर। मीडिया की आड़ में तस्करी के आरोप में गिरफ़्तार पान गुटखा मसाला कारोबारी किशोर वाधवानी को आज विशेष न्यायालय में पेश किया। न्यायधीश अनुप्रिया पाराशर ने पाँच दिन के रिमांड पर आरोपी वाधवानी को सौंपा। केंद्रीय जाँच एजेंसी से जुड़े विशेष लोक अभियोजक चंदन एरन ने चर्चा करते हुए बताया कि मुलज़िम वाधवानी पर GST अधिनियम की धारा 132 के तहत 237 करोड़ रुपये की जीएसटी की टैक्स चोरी को लेकर मुक़दमा दर्ज हुआ है। साथ ही आरोपी वाधवानी और उसके साथ गिरफ़्तार हुए चार अन्य आरोपियों पर सरकारी दस्तावेज़ों में हेरा-फेरी करने के प्रमाण मिले हैं।


 


उन्होंने कहा कि जाँच एजेंसी ने भारी मात्रा में पान-मसाला, सिगरेट, गुटखा और कुछ दस्तावेज़ भी ज़ब्त किए हैं। आरोपी वाधवानी से भादवि की धारा 409, 467, 471, 120 बी के तहत अनुसंधान/पुछताछ चल रही है। ऐरन ने आगे यह भी बताया कि मुलज़िम वाधवानी ने षड्यंत्रपूर्वक लॉकडाउन में तस्करी के ज़रिए अलग अलग ब्रांड के गुटखा, पान-मसाला और सिगरेट बेच कर सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि पहुँचाई है। यह भी चौंकाने वाले तथ्य का ख़ुलासा हुआ कि इस गुटखा माफ़िया के विदेशों में कुछ लोगों से मोबाइल के ज़रिये संपर्क बना हुआ था।इसकी भी जाँच की जा रही है।


 


प्रशासन से जारी हुए दबंग दुनिया के प्रेस पास पर सवाल उठे


 


आखिर इस अख़बार का क्या लाखों में सर्कुलेशन है कि इसे 70 ट्रक अखबार भेजने को लगते थे। यदि ये पास जिला प्रशासन ने जारी नहीं किया हैं, तो प्रशासन अखबार के मुद्रक प्रकाशक किशोर वाधवानी पर इस मामले में केस दर्ज करे। अगर प्रशासन केस दर्ज नहीं करता है, तो यही माना जाएगा कि पास जारी हुए हैं। दूसरी बात प्रेस की आड़ में प्रशासन के पास का दुरुपयोग। 


 


प्रेस की आड़ में प्रिंटिंग यूनिट में गुटखा, पान मसाला बनाना, प्रेस लगे स्टिकर की गाडी से प्रतिबंधित मादक पदार्थ पान मसाले का परिवहन। बताया जा रहा है की प्रिंट लाइन में जो दबंग दुनिया का दफ्तर शालीमार कॉर्पोरेट हाउस बताया है, वहां अखबार से जुड़ा कोई काम नहीं होता था। अखबार के बोर्ड की आड़ में वहां भी गुटखा और रियल स्टेट का कारोबार और शायद हवाला से जुड़े कागज़ात भी मिले (जांच टीम ने वहां से कई कागज़ात जब्त किये) ये सीधा-सीधा प्रेस एक्ट का भी उल्लंघन है, मीडिया की आड़ में दूसरे कारोबार करने का मामला है। 


 


जिला प्रशासन को ऐसे अखबार का डिक्लेरेशन रद्द करना चाहिए। साथ ही इसकी पूरी रिपोर्ट भेजकर रजिस्ट्रार न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया (RNI ) और प्रेस परिषद को भेजकर वाधवानी के दबंग दुनिया और दबंग दुनिया-2 के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर देना चाहिए। वैसे भी प्रेस लॉ के अनुसार कोई भी मुलज़िम किसी मीडिया आर्गेनाईजेशन का मुखिया नहीं हो सकता। क्या प्रशासन ऐसा करेगा ?



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