कांग्रेस ने संघ परिवार से निपटने के लिए अपने क्षत्रपों को किया आगे

युवा और अनुभवी नेताओं को सौंपी मालवा-निमाड़ की 5 सीटें


दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक और कमलनाथ ने बनाई उपचुनाव की रणनीति


इंदौर, 30 मई। मौजूदा प्रदेश सरकार की स्थिरता के लिए निर्णायक साबित होने वाले 24 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए कांग्रेस रणनीति बनाने में व्यस्त है। सूत्रों के अनुसार नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी और हाई प्रोफाइल राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक, प्रदेश कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ लगातार ऑनलाइन बैठकें कर रहे हैं। मुकुल वासनिक से जुड़े युवक कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने इस प्रतिनिधि को बताया कि मालवा-निमाड़ अंचल की 5 विधानसभा सीटों को लेकर पार्टी बेहद गंभीर है। इस अंचल को मॉनिटर करने के लिए कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत क्षत्रपों को आगे किया है। इन सभी को संघ परिवार से राजनीतिक संघर्ष करने का अच्छा- खासा अनुभव है। मालवा-निमाड़ ही वह क्षेत्र है, जिसने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सत्ता मार्ग आसान किया था। 1998 के विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार 2018 में कांग्रेस ने यहां से 40 प्लस विधानसभा सीटें जीती थी। सनद रहे इस अंचल में 66 विधानसभा सीटें आती हैं। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने हाटपिपलिया और सांवेर विधानसभा क्षेत्र के लिए पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा को प्रभारी बनाया है। जबकि आगर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र को जयवर्धन सिंह और सज्जन वर्मा दोनों देखेंगे। सुवासरा विधानसभा क्षेत्र मंदसौर लोकसभा में आता है। यह वह इलाका है जहां से कांग्रेस की हाई प्रोफाइल राष्ट्रीय सचिव और राहुल गांधी के निजी राजनीतिक सचिवालय की प्रमुख सदस्य मीनाक्षी नटराजन लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। सुश्री नटराजन मुख्य तौर पर सुवासरा को मॉनिटर करेंगी। इसी तरह धार जिले के अंतर्गत आने वाली बदनावर विधानसभा सीट को युवा तुर्क नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव उमंग सिंघार, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अत्यंत विश्वासपात्र सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम के साथ अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी संयुक्त रूप से मॉनिटर करेंगे। यह सभी नेता चुनावी रणनीति के महारथी माने जाते हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी को प्रदेश स्तरीय समिति में रखा गया है। वे अंचल के 


 नेताओं और संभावित उम्मीदवारों से समन्वय की भूमिका में रहेंगे।


 


वासनिक की नजदीकी निगाह..


 


प्रदेश कांग्रेस की रणनीति को लेकर प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक नजदीकी निगाह रखे हुए हैं। श्री वासनिक देश के उन थोड़े से दलित नेताओं में से एक हैं, जिनके सभी राजनीतिक दलों में अनेक शुभचिंतक हैं ।यही नहीं, श्री वासनिक प्रगतिशील,उदारवादी उच्च शिक्षित दलित नेता माने जाते हैं। जिनका हिंदी, अंग्रेजी और मराठी पर एक समान प्रभुत्व है। श्री वासनिक की तीसरी पीढ़ी नेहरू-गांधी परिवार की वफादार मानी जाती हैं। मुकुल वासनिक के दादा स्व. रामचंद्र वासनिक महात्मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे के शिष्य रहे हैं। जबकि उनके पिता स्वर्गीय बालकृष्ण वासनिक 28 वर्ष की उम्र में 1957 में महाराष्ट्र के भंडारा से लोकसभा सदस्य बने थे, तब उन्हें आचार्य विनोबा भावे की सिफारिश पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने टिकट दिया था। स्वर्गीय बाल कृष्ण वासनिक बुलढाणा संसदीय क्षेत्र से 1962 और 1980 में भी लोकसभा सदस्य बनें। 1984 में स्वर्गीय वासनिक ने अपने अत्यंत होनहार पुत्र मुकुल वासनिक के लिए बुलढाणा की सीट खाली की थी। श्री मुकुल वासनिक 1984 में मात्र 25 वर्ष की आयु में बुलढाणा यानी विदर्भ से सांसद चुने गए। वे डॉ मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में सामाजिक न्याय और सहकारिता मंत्री थे।कांग्रेस संगठन के लिए पूरी तरह समर्पित श्री वासनिक ने 60 साल की उम्र तक विवाह नहीं किया था। करीब डेढ़ महीने पहले उन्होंने अपनी राजनीतिक सहयोगी और मित्र रवीना खुराना से शादी की। श्री मुकुल वासनिक कांग्रेस के सबसे उज्जवल छवि रखने वाले ऐसे नेताओं में हैं, जो खूब पढ़ते हैं। श्री वासनिक 1988 से 90 के बीच युवक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे प्रदेश के दूसरी बार प्रभारी बने हैं। युवा नेताओं से उनका अच्छा तालमेल है।


 


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