बारहवीं के शेष पेपरों के लिए जल्दबाजी क्यों?

बारहवीं के शेष पेपरों के लिए जल्दबाजी क्यों ?


 


मध्यप्रदेश शासन ने कक्षा 12वीं के शेष पेपरों की परीक्षा 9 जून से कराने का निर्णय लिया। कोरोना महामारी की असामान्य परिस्थिति के चलते बोर्ड परीक्षा 19 मार्च से स्थगित हो गई थी। कक्षा 10वीं के शेष पेपरों में तो शासन ने जनरल प्रोमोशन वाली पाॅलिसी अपना ली लेकिन कक्षा 12वीं में शेष पेपरों के लिए नया टाइम टेबल जारी किया गया। कक्षा 12वीं के लिए जनरल प्रोमोशन ना देकर एक तरह से शासन ने अच्छा ही किया क्योकि अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं के मद्देनजर वर्तमान परिस्थिति में कक्षा 12वी के परीक्षा परिणाम को ही आधार बनाया जाता है। इस तरह कक्षा 12 वीं का परीक्षा परिणाम समस्त विषयों के पेपरों की परीक्षा के मूल्यांकन के बाद ही जारी किया जाएगा। किंतु प्रश्न यहां यह उठ रहा है कि क्या जून माह की बजाय जुलाई माह में यह परीक्षा आयोजित नहीं जा सकती थी ? जब केंद्रीय सरकार सीबीएसई आईएसई और अन्य परीक्षाएं भी जुलाई माह में आयोजित कर रही है तो मध्यप्रदेश शासन ने जून माह में ही परीक्षाएं आयोजित कराने की जल्दबाजी क्यों की ?


वैसे भी आईसीएमआर, एम्स और खुद स्वास्थ्य मंत्रालय का आकलन है कि जून माह में यह बीमारी अपने पीक पर रहेगी और ऐसे समय में लाखों विद्यार्थियों को जान जोखिम में डालकर परीक्षा के लिए अपने परीक्षा केंद्रों पर जाना होगा। इसके साथ हजारों शिक्षक जिन्हें परीक्षा में ड्यूटी देने के लिए बुलाया जाएगा, उनके लिए भी एक तरह से जोखिम ही रहेगा। इसका प्रमुख कारण है कि परीक्षा व्यवस्था में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना संभव नहीं है। परीक्षाओं के संचालन में परीक्षार्थी, शिक्षक व इस कार्य में लगे अन्य कर्मचारियों के मध्य सोशल डिस्टेंसिंग रखना संभव नहीं होता है। इस तरह लाखों परीक्षार्थियों व हजारों शिक्षकों पर संक्रमण का खतरा साफ तौर मंडरा रहा है। 


कोरोना महामारी की विषम परिस्थिति के मद्देनजर सत्र 2020-21 का शिक्षण सत्र प्रभावित हो ही गया है। सहज ही अनुमान लगाया जा रहा है कि जून-जुलाई माह से प्रारंभ होने वाला सत्र अगस्त-सितम्बर माह से ही प्रारंभ हो सकेगा। ऐसी परिस्थिति में अगर कक्षा 12वीं की परीक्षा जुलाई माह में आयोजित की जाती तो भी आगामी शिक्षण सत्र के प्रारंभ होने के पूर्व ही परीक्षा परिणाम जारी हो जाता। 


बहरहाल आज की स्थिति में मध्यप्रदेश के 49 जिले कोरोना की चपेट में आ चुके हैं इसमें से कुछ जिले तो रेड जोन में हैं। समस्त प्रशासनिक व्यवस्थाएं इस बीमारी से निपटने में लगी हुई है, ऐसे में कक्षा 12वीं की परीक्षाएं माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा तय मानकों के हिसाब से निर्विध्न सम्पन्न हो पाएगी यह देखने वाली बात होगी।


 


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