नई दिल्ली, मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ने के बाद अब जल्द ही औपचारिक तौर पर बीजेपी का दामन थामेंगे। सिंधिया समर्थक विधायकों के समर्थन से बीजेपी फिर प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करने की मुक्कमल तैयारी कर चुकी है। भारतीय जनता पार्टी हालांकि कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट करने की फिराक में काफी पहले से ही रही है, लेकिन पार्टी संगठन के एक मजबूत सिपाही और कद्दावर नेता के साथ सिंधिया की एक बेहद करीबी महिला ने इस पूरे राजनीतिक खेल को मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग में काफी प्रभाव है और कांग्रेस के ज्यादातर बागी विधायक भी इन्हीं संभाग से आते हैं, जिनके बगावत पर उतरने के कारण कमलनाथ सरकार संकट में आ गई है। केंद्रीय मंत्री के एक करीबी ने बताया कि बीजेपी की नई सियासत की बिसात बिछाने के सूत्रधार नरेंद्र सिंह तोमर ही थे और मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की राजनीतिक घटनाक्रमों में वह हमेशा सक्रिय रहे।
सिंधिया परिवार का गढ़ में लगाई सेंध
करीबी सूत्र के अनुसार, ग्वालियर के मुरार में 1957 में पैदा हुए तोमर ने छात्र नेता के रूप ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी, इसलिए संगठन पर इनकी मजबूत पकड़ है। इस संभाग में कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी इनको दी गई थी। ग्वालियर सिंधिया परिवार का गढ़ है, इसके लिए उनके गढ़ में पार्टी विधायकों को तोड़ने की रणनीति का सीधा मतलब था कि बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अपना दरवाजा पहले ही खोल दिया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी व ग्वालियर की राजमाता विजया राजे सिंधिया जनसंघ की सक्रिय सदस्य होने के साथ-साथ बीजेपी की संस्थापकों में शामिल रही थीं।
सिंधिया परिवार के करीबी भी हैं तोमर
यह भी बताया जाता है कि पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के भी विश्वस्त रहे तोमर के सिंधिया परिवार से करीबी रिश्ते को देखते हुए भी उनको नई जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सूत्रों ने बताया कि विगत कुछ दिनों से दिल्ली स्थित नरेंद्र सिंह तोमर के आवास 3, कृष्ण मेनन मार्ग पर मध्य प्रदेश के बड़े नेताओं की आवाजाही बढ़ गई थी। इसके अलावा, तोमर भी अपने क्षेत्र का दौरा ज्यादा करने लगे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी व विश्वस्त माने जाने वाले तोमर को कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश में बीजेपी की रणनीति की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद से लेकर प्रदेश में कैबिनेट स्तर के मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके तोमर मध्य प्रदेश में बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। प्रदेश में 'जय और वीरू' के नाम से चर्चित शिवराज और तोमर की जोड़ी ने 2013 में 165 सीटें जितवाकर बीजेपी को तीसरी बार सत्ता पर काबिज करवाया था।
'सोनिया ने नहीं सुनी थी सिंधिया की बात'
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सिंधिया के बीच मध्यस्थता कराने में एक और शख्स ने अहम भूमिका निभाई है। सिंधिया के ससुराल पक्ष से बड़ौदा राजपरिवार की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड़ ही हैं, जिनके कारण वह आखिरकार कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी के नजदीक जाते दिख रहे हैं। राजपरिवार से जुड़े एक सूत्र ने बताया, 'ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने से हैं। बड़ौदा की महारानी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अत्यधिक सम्मान करते हैं और उनसे उनके अच्छे संबंध हैं।' उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने सिंधिया की बातें नहीं सुनीं। राहुलजी ने भी उन्हें कहा कि आप (मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री) कमलनाथ के साथ बात कर अपने मतभेदों को सुलझाओ।'
राजमाता शुभांगिनी देवी का खास योगदान
सूत्र ने बताया कि लेकिन कमलनाथ द्वारा भी उनकी समस्याओं को अनसुना कर दिया। इससे सिंधिया कांग्रेस से नाराज हो गये थे। रविवार को भी सिंधिया ने सोनिया से मिलने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया। जिसके बाद सिंधिया संभावनाओं की तलाश करने लगे थे। सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद शुभांगिनी देवी गायकवाड़ ने भी सिंधिया को समझाया और उन्हें बीजेपी में जाने के लिए प्रेरित किया।
(भाषा और आईएएनएस से इनपुट के साथ)
साभार- नवभारत टाइम्स
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